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Showing posts from February, 2022

रूस, जर्मनी और चीन की कूटनीति से धराशायी हुए अमेरिका सहित नाटो देश

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रूस, जर्मनी और चीन की कूटनीति से धराशायी हुए अमेरिका सहित नाटो देश  यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ रूस का हिस्सा था। रूस हमेशा कहता है कि यूक्रेन के लोग रूसी हैं और रूस यूक्रेन की भूमि और उसके लोग को खुद से अलग नहीं करना चाहता है। विक्टर यानुकोविच के यूक्रेन का राष्ट्रपति बनने के बाद रूस यूक्रेन में बहुत मजबूत हो गया था। ब्रिटेन और अमेरिका ने यूक्रेन में विरोध करवाकर विक्टर यानुकोविच को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। जिसके बाद रूस ने यूक्रेन के प्रायद्वीप क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और औद्योगिक शहर डोनबास में लंबे समय से यूक्रेन की सेना और अलगाववादियों में युद्ध चल रहा है। रूस अलगाववादियों को हथियार और धन उपलब्ध कराता है लेकिन कहता है कि वे रूसी स्वयंसेवक हैं, इस युद्ध में रूस अपनी भूमिका स्वीकार नहीं करता है। यूक्रेन नाटो देश का सदस्य बनने को उत्सुक रहता है जो कि रूस को नागवार लगता है क्योंकि रूस अपनी सीमा पर नाटो देश की सेना को नहीं देखना चाहता है। नाटो का गठन वर्ष 1949 में सोवियत संघ रूस की शक्ति का सामना करने के लिए ही हुआ था। वस्तुतः नाटो देश ने भरोसा दिलाया कि...

पुण्यभूमि पट्टी का राजनैतिक इतिहास

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पट्टी का राजनैतिक इतिहास राहुल पांडे 'अविचल'  स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में पट्टी ने खुद को अजर-अमर बनाया है। बाबा रामचंदर, झिंगुरी सिंह, भगवान दीन पटेल, करिया कुर्मी, श्याम सुंदर शुक्ल, मुनीश्वर दत्त उपाध्याय, राजेश्वर सहाय त्रिपाठी, राम राज शुक्ल की पावन धरती पट्टी  आकर स्वतंत्रता संग्राम के सुकुमार नायक पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राजनीति का ककहरा सीखा था। रहठे से बने झौवे पर बैठकर उन्होंने अपने जीवन का ऐतिहासिक भाषण दिया था। लियाकत अली से वर्ष 1921 में प्रभावित होकर श्याम सुंदर शुक्ल ने दरोगा की नौकरी छोड़ दी थी और जनपद के कांग्रेस पार्टी के प्रथम अध्यक्ष बने थे। जब देश को दिनांक 15 अगस्त 1947 की रात्रि 12 बजे आजाद होना था तो श्याम सुंदर शुक्ल और मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने रात्रि 11 बजे ही कलेक्ट्रेड में लगे यूनियन जैक को फाड़कर फेंक दिया था। यूनाइटेड प्रोविन्स के बाद उत्तर प्रदेश बने राज्य में पट्टी विधानसभा का अस्तित्व वर्ष 1957 में आया। मगर यह शीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। वर्ष 1957 में बाबू रामकिंकर ने कांग्रेस पार्टी से प्रथम विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। वर्ष...

समाज और पार्टी में सामंजस्य को लेकर चर्चित हुए थे जय सिंह यादव

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समाज और पार्टी में सामंजस्य को लेकर चर्चित हुए थे जय सिंह यादव  राहुल पांडे 'अविचल'  बीरापुर/रानीगंज, प्रतापगढ़। जब सिद्धांत आपस में टकराने लगे तो सामंजस्य बिठाना बहुत कठिन होता है। मंडल आयोग की रिपोर्ट जब संसद में लागू हो रही थी तो उस समय राजीव गांधी ने उसका विरोध किया। राजीव गांधी पूरी रिपोर्ट को खारिज करना चाहते थे मगर यह कार्य सरल नहीं था। इसके बावजूद भी संसद में लगातार तीन घण्टे उन्होंने मंडल आयोग की रिपोर्ट के विरुद्ध बोला और सवर्णों के पक्ष में किसी भी नेता द्वारा संसद में बोला गया यह आजादी से लेकर अब तक का सबसे लंबा वक्तव्य है। राममंदिर आंदोलन ने सवर्णों के मन में राजीव गांधी के प्रति जो स्नेह उत्पन्न हुआ था उसे खत्म कर दिया था। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई नेताओं का उदय हो गया। मुलायम सिंह, लालू प्रसाद और नितीश कुमार आदि मंडल आयोग की देन हैं। दिनांक 07 अगस्त 1990 को मंडल आयोग की सिफारिश संसद में लागू होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने विरोध यात्रा निकाली तो पिछड़ा वर्ग समुदाय ने स्वागत में यात्रा निकाली थी। वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में लोकदल पार्टी से प्रतापगढ़ लोकसभा में द...

कैंची ने कुतर दिए थे सहानुभूति के वोट

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कैंची ने कुतर दिए थे सहानुभूति के वोट  राहुल पांडे 'अविचल'  विश्वनाथगंज। परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में गड़वारा विधानसभा समाप्त हो गयी और विश्वनाथगंज विधानसभा शीट  अस्तित्व में आयी थी। आसपुर देवसरा से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखने वाले राजा राम पाण्डेय उत्तर प्रदेश विधानसभा में तीन बार प्रवेश किए। ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने का निर्णय राजाराम पाण्डेय ने विलम्ब से लिया था। वह कोऑपरेटिव में अपना डेलीकेट नहीं बना पाए थे इसलिए कांग्रेस पार्टी के सभाजीत सिंह से चुनाव हार गए थे। वर्ष 1991 और 1993 का चुनाव समता पार्टी से रामपुर खास विधानसभा से लड़ा और प्रमोद तिवारी को टक्कर दिया। वर्ष 1996 का चुनाव राजाराम पाण्डेय ने गड़वारा विधानसभा क्षेत्र  से जनतादल से लड़ा और विजयी होकर विधानसभा में पहुंचे। जनतादल तोड़कर जनतादल (राजाराम) के नाम से पार्टी बनाया और कल्याण सिंह को समर्थन देकर पहली बार में ही उत्तर प्रदेश सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री बन गये। वर्ष 2002 में लोकजनशक्ति पार्टी से दूसरी बार गड़वारा के विधायक बने और वर्ष 2004 में मुलायम सिंह को समर्थन दिया और खा...

मीरा जी और कृष्ण जी जैसा था लता जी और केएल सहगल जी का रिश्ता

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मीरा जी और कृष्ण जी जैसा था लता जी और केएल सहगल जी का रिश्ता  राहुल पांडे 'अविचल'  मीरा जी बहुत छोटी थीं तो उन्हें उनकी भाभी एक कहानी सुना रही थीं जिसमें मीरा जी की भाभी ने अपनी सखी के विवाह के विषय में बताया तो मीरा जी ने कहा कि मेरा दूल्हा कहाँ है? कहीं कहीं लिखा है कि गांव में बारात आयी थी तो मीरा जी ने कहा कि भाभी बाजा कहाँ बज रहा है तो भाभी ने कहा कि गांव में बारात आयी है, किसी का विवाह होने वाला है। मीरा जी ने पूँछा कि बारात क्या होती है तब भाभी ने कहा दूल्हा आता है एक लड़का और एक लड़की की शादी होती है, इससे पति-पत्नी का रिश्ता बनता है। तब मीरा जी ने कहा कि मुझे भी मेरे पति से मिलाइये भाभी। इसपर भाभी ने कहा कि जब तुम बड़ी हो जाओगी तब तुम्हारा विवाह होगा। मगर मीरा जी जिद करने लगीं तो भाभी ने पूजाघर में ले जाकर बताया कि यही आपके पति हैं। भगवान कृष्ण की प्रतिमा को देखकर मीरा जी ने उन्हें अपना पति मान लिया। जब मीरा जी बड़ी हुयीं तो उनका विवाह सिसोदिया वंश के कुल नायक मेवाड़ के महाराज भोजराज से हुआ जो कि महाराणा सांगा के पुत्र थे। मीरा जी अपने साथ भगवान कृष्ण की मूर्ति लेकर ससुराल...