कैंची ने कुतर दिए थे सहानुभूति के वोट

कैंची ने कुतर दिए थे सहानुभूति के वोट 

राहुल पांडे 'अविचल' 

विश्वनाथगंज। परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में गड़वारा विधानसभा समाप्त हो गयी और विश्वनाथगंज विधानसभा शीट  अस्तित्व में आयी थी। आसपुर देवसरा से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखने वाले राजा राम पाण्डेय उत्तर प्रदेश विधानसभा में तीन बार प्रवेश किए। ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने का निर्णय राजाराम पाण्डेय ने विलम्ब से लिया था। वह कोऑपरेटिव में अपना डेलीकेट नहीं बना पाए थे इसलिए कांग्रेस पार्टी के सभाजीत सिंह से चुनाव हार गए थे। वर्ष 1991 और 1993 का चुनाव समता पार्टी से रामपुर खास विधानसभा से लड़ा और प्रमोद तिवारी को टक्कर दिया। वर्ष 1996 का चुनाव राजाराम पाण्डेय ने गड़वारा विधानसभा क्षेत्र  से जनतादल से लड़ा और विजयी होकर विधानसभा में पहुंचे। जनतादल तोड़कर जनतादल (राजाराम) के नाम से पार्टी बनाया और कल्याण सिंह को समर्थन देकर पहली बार में ही उत्तर प्रदेश सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री बन गये। वर्ष 2002 में लोकजनशक्ति पार्टी से दूसरी बार गड़वारा के विधायक बने और वर्ष 2004 में मुलायम सिंह को समर्थन दिया और खादी ग्रामोद्योग मंत्री बने। वर्ष 2007 का चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा और बसपा की लहर में बसपा प्रत्याशी बृजेश सौरभ के हाथों हार गए। वर्ष 2012 में अस्तित्व में आयी विश्वनाथगंज विधानसभा से चुनाव जीतकर राजाराम पाण्डेय तीसरी बार विधायक और पुनः खादी ग्रामोद्योग मंत्री बने। अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजाराम पाण्डेय ने कहा कि वह बेल्हा की सड़कों को हेमा मालिनी के गाल जैसा बना देंगे। इसके पूर्व भी इन्होंने सुल्तानपुर की जिलाधिकारी की सुंदरता की तारीफ की थी इसलिए अखिलेश सरकार ने मंत्री पद छीन लिया। वर्ष 2013 में वह अपने गांव आये तो कहा कि दीवाली में मंत्री पद लेकर आएंगे। मगर उन्हें पता चला कि वह मंत्री नहीं बन रहे हैं तो उन्हें गहरा आघात पहुंचा और सदमे से उबर नहीं पाए। दिनांक 31 अक्टूबर 2013 को राजाराम पाण्डेय का निधन हो गया। विश्वनाथगंज विधानसभा का उपचुनाव और लोकसभा चुनाव 2014 एक साथ हुआ। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और अपना दल का गठबंधन हुआ लेकिन विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा और अपना दल का गठबंधन नहीं हुआ। प्रतापगढ़ लोकसभा से अपना दल ने हरिवंश सिंह को प्रत्याशी बनाया। विश्वनाथगंज से अपना दल ने आरके पटेल को प्रत्याशी बनाया, भाजपा ने बृजेश सौरभ को टिकट दिया और समाजवादी पार्टी ने राजाराम पाण्डेय के निधन से रिक्त शीट पर उनके बेटे संजय पाण्डेय को उम्मीदवार बनाया। अपना दल को लोकसभा चुनाव में कैंची निशान मिला तो विधानसभा उपचुनाव के लिए आरके पटेल को कैंची निशान मिल गया। लोकसभा चुनाव में दिक्कत न हो इसलिए पुरुषों ने महिलाओं को कैंची निशान ही बताया और महिलाएं लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव के लिए कैंची की बटन दबा दी और संजय पाण्डेय को सहानुभूति का लाभ नहीं मिल सका और चुनाव हार गए। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में संजय पाण्डेय को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना पड़ा और इन्हें दूसरी बार भी निराशा हाथ लगी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए संजय पाण्डेय ने जोरदार तैयारी की थी मगर इन्हें टिकट नहीं मिला। सबसे दुःखद तब हुआ जब इन्हें अचानक बताया गया कि आपको टिकट मिल गया है और नामांकन करते जाते समय इनको नामांकन करने से रोक दिया गया तो भावुक होकर संजय पाण्डेय ने निर्दलीय नामांकन कर दिया। जिस कैंची ने उपचुनाव में संजय पाण्डेय को मिलने वाली सहानुभूति को कुतर दिया था वही कैंची आज संजय पाण्डेय को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव हेतु प्राप्त हुई है।

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