पत्नी पति कि निजी संपत्ति नहीं
पत्नी पति की संपत्ति नहीं है:
विवाह एक पवित्र रिश्ता है।
जोसेफ साइन मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट विस्तृत आदेश पास कर चुकी है। ऑर्डर आप पढ़ सकते हैं लिंक: https://t.me/RahulGPande/350
पत्नी कोई वस्तु नहीं है यह द्रौपदी ने भरी सभा में कहा था। उनका प्रश्न था कि पहले युधिष्ठिर खुद को जुआ में हारे कि मुझे जुआ में हारे। जिसपर पता चला कि वह खुद को पहले जुआ में हारे। तब द्रोपदी ने कहा कि जब खुद को हारकर वह दास बन गए तो वह मुझे दांव पर नहीं लगा सकते थे क्योंकि पत्नी कोई वस्तु नहीं है।
IPC 497 के अनुसार पत्नी पति की इच्छा से किसी परपुरुष से सहगमन करे तो यह व्यभिचार नहीं है और पति की अनभिज्ञता में किसी परपुरुष से सहगमन करे तो तो यह व्यभिचार है। इस तरह यह धारा पत्नी को वस्तु सिद्ध कर रही थी। माता कुंती ने पहले द्रोपदी को वस्तु मानकर अपने पांच बेटों में बाँट दिया, फिर युधिष्ठिर ने वस्तु मानकर खुद दुर्योधन का दास होने के बावजूद द्रोपदी को जुआ में दांव पर लगा दिया। रामायण इस बात का प्रतीक है कि क्या करना चाहिए और महाभारत इस बात का प्रतीक है क्या नहीं करना चाहिए। डॉक्टर चंद्रचूड़ साहब ने तो यहां तक लिखा है कि विवाह के बाद आप उसकी यौन इच्छा/पसंद को नियंत्रित करने का कानून नहीं बना सकते हैं। अभी हाल में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह कोई व्यावसायिक रिश्ता नहीं है यह पवित्र रिश्ता है। तलाक के बाद एल्युमनी सिर्फ उसके जीवन यापन तक सीमित होना चाहिए।
इस तरह इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री विनोद दिवाकर ने पति की याचिका खारिज करके बेहतरीन टिप्पणी की है। न स्त्री वस्तु है और न ही पति की निजी संपत्ति है।
अविचल
#MatrimonialAvichal
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