प्राथमिक शिक्षकों की 12460 भर्ती के मुकदमे में एएसजी ऐश्वर्या भाटी को सुप्रीम कोर्ट ने बनाया मध्यस्थ।अधिकारियों से बात करके समाधान खोजने का दिया सुझाव

प्राथमिक शिक्षकों की 12460 भर्ती के मुकदमे में एएसजी ऐश्वर्या भाटी को सुप्रीम कोर्ट ने बनाया मध्यस्थ।
अधिकारियों से बात करके समाधान खोजने  का दिया सुझाव 
राहुल पांडे 'अविचल'
वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के पंद्रहवें संशोधन से बीटीसी एवम एसबीटीसी योग्यताधारियों के लिए 12460 भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। जिसमें कि 51 जनपद में रिक्त पद थे परंतु 24 जनपद में पदों की संख्या शून्य थी। 
बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के रूल 14(1)(क) में वर्णित है कि जिस जनपद से प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उस जनपद में नियुक्ति में वरीयता प्राप्त होगी। 
इस स्थिति में वे 24 जनपद जहां पद शून्य थे वहां के योग्यताधारियों को किसी अन्य जनपद से आवेदन करके उस जनपद में वरीयता लेने का मौका दिया गया। इसके लिए भर्ती की गाइडलाइन में क्लॉज 6(ख) बनाया गया। 
जिस जनपद के आवेदक पहली काउंसलिंग में चयन न पाते वे दूसरी काउंसलिंग में अन्य जनपद में पद रिक्त रहने पर प्रतिभाग कर सकते थे। 
जिनके यहां पद कम था और वे अपने जनपद में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते थे अथवा ऐसे भी लोग जिनके जिनके यहां पद शून्य था उन्होंने बेसिक शिक्षा नियमावली के रूल 14(1)(क) की प्रशिक्षण प्राप्त जनपद की वरीयता को रद्द करके प्रथम काउंसलिंग में ही कहीं भी प्रतिभाग करने के लिए मुकदमा किया। साथ ही जिनके यहां पद रिक्त था उन्होंने राज्य स्तरीय मेरिट की भी मांग की। 
उत्तर प्रदेश सरकार ने जवाब लगाया कि आवेदक ने जिस जनपद से प्रशिक्षण प्राप्त किया है वहां का उसे अच्छा अनुभव है, स्थानीय भाषा का ज्ञान है। इसलिए उनको प्रशिक्षण प्राप्त जनपद में नियुक्ति में वरीयता मिलनी चाहिए। सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर हाई कोर्ट ने मुकदमा खारिज कर दिया और इन अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल कर दिया। जिसमें बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से राकेश मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि लोकल डिग्लेक्ट के कारण जिला वरीयता दी जा रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट में उमेश चंद्र और रवि कुमार केस  लंबे समय से चलता आ रहा था। 
25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद ऐसे शिक्षामित्र जो टीईटी उत्तीर्ण थे एवम दूरस्थ बीटीसी के प्रशिक्षण के आधार पर 12460 भर्ती में आवेदन किया था। शिक्षामित्रों ने  भर्ती के ऐसे बीटीसी/एसबीटीसी के आवेदक जिनके यहां पद रिक्त नहीं था एवम विज्ञापन के 6(ख) के आधार पर अधिक मेरिट लेकर उनके जिले में वरीयता मांग रहे थे उनका विरोध किया। शिक्षामित्रों ने राम जनक मौर्य के नाम से याचिका करके इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में एकल पीठ को बताया कि बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी के आवेदक जिनके यहां पद रिक्त नहीं है उनको वादी के जनपद में प्रथम काउंसलिंग में प्रतिभाग करने से रोका जाए। क्योंकि बेसिक शिक्षा नियमावली में रूल 14(1)(क) में जिला वरीयता की बात है, इसलिए शिक्षामित्रों को उनके गृह जनपद में नियुक्ति में वरीयता दी जाए। शून्य रिक्ति के जनपद के प्रशिक्षुओं को अन्य जनपद में काउंसलिंग में प्रतिभाग करने से रोक दिया गया। शून्य रिक्ति के बहुत से आवेदकों ने दो से अधिक जनपदों में वरीयता मांग ली थी। उनको सचिव संजय सिन्हा दूसरी काउंसलिंग में प्रतिभाग करने का आदेश कर दिया था। हाई कोर्ट की एकल पीठ की रोक के बाद जो मेरिट लिस्ट बनी उसमें जिनका चयन हर स्थिति में चयन हो जाता उनको नियुक्ति दे दी गई अर्थात पद के सापेक्ष शून्य रिक्ति वाले जनपद के आवेदक को भी मेरिट में शामिल किया परंतु उनकी शीट को रिक्त रखते हुए उनको नियुक्ति पत्र नहीं दिया, नियुक्ति पत्र सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त जनपद के मूल आवेदक को मिला जो कि चयन सूची में आ गया । परिणामस्वरूप लगभग आधा पद भर गया। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विज्ञापन के 6(ख) को बेसिक शिक्षा नियमावली के विरुद्ध पाकर  रद्द कर दिया  एवम शून्य रिक्ति जनपद वाले प्रशिक्षुओं को अन्य जनपद में प्रतिभाग करने से रोक दिया। 
शून्य रिक्ति जनपद के आवेदकों ने एकल पीठ के फैसले के विरुद्ध मोहित द्विवेदी के नाम से स्पेशल अपील दाखिल किया। हाई कोर्ट की दो न्यायमूर्तियों की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को रद्द कर दिया। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में इक्कीसवां संशोधन करके उत्तर प्रदेश सरकार जिला वरीयता खत्म कर चुकी थी।  इसलिए जब दो न्यायमूर्तियों की खंडपीठ मोहित द्विवेदी एवम अन्य अपीलकर्ताओं की अपील पर फैसला सुनाने लगी तो रूल की जिला वरीयता खत्म हो चुकी थी तो 12460 भर्ती के रिक्त पदों पर समस्त आवेदकों को अवसर देकर भरने का आदेश कर दिया। 
इस फैसले के विरुद्ध एकल पीठ में राम जनक मौर्य के साथ अन्य याचिका की याची अर्चना राय ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल कर दी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया की बहस पर उत्तर प्रदेश सरकार एवम मोहित द्विवेदी आदि को नोटिस जारी कर दिया एवम अर्चना राय की एसएलपी को पूर्व से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन उमेश चंद्र और रवि कुमार की एसएलपी में टैग कर दिया। नोटिस जारी होने के बाद आनन फानन में उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के अनुपालन में प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया। सर्वप्रथम जो प्रथम काउंसलिंग में लगभग छः वर्ष पूर्व प्रतिभाग किए थे मेरिट में थे परंतु शून्य रिक्ति जनपद से प्रशिक्षण पाए थे। वह राम जनक मौर्य केस के फैसले के कारण नियुक्ति नहीं पाए थे उनको नियुक्ति पत्र दे दिया। उसके बाद काउंसलिंग कराकर बचे पदों पर नियुक्ति पत्र दे दिया परंतु विद्यालय आवंटन के पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया ने दिनांक 8 जनवरी 2024 को प्रक्रिया पर स्टेट्स को का आदेश कर दिया। जिससे नियुक्ति पाए शिक्षक शिक्षिकाओं का विद्यालय पाने का सपना अधूरा रह गया। अगली सुनवाई पर लीव ग्रांट करके एसएलपी को सिविल अपील में कनवर्ट कर दिया। 
दिनांक 8 मई 2024 को केस का नंबर नहीं आया तो केस को 9 मई 2024 को सुना गया। लंच के पूर्व अर्चना राय के वकील पीएस पटवलिया ने अपनी व्यस्तता बताकर मामले को अगले सप्ताह में सुनने का निवेदन किया। जिसका एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने विरोध किया और कोर्ट को बताया कि शिक्षक को विद्यालय नहीं मिल पा रहा है और बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। लंच के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता पल्लव सिसोदिया ने बहस की शुरुआत की और कोर्ट को बताया कि 24 जिले में पद शून्य था। जिन्होंने वहां से प्रशिक्षण पाया है उनके लिए  रूल जिला वरीयता की बात करता है और विज्ञापन की गाइडलाइन की धारा 6 ख उनको अन्य जनपद में वरीयता लेने की छूट देती है जो कि विरोधाभाषी है इसलिए राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट बननी चाहिए। रूल की जिला वरीयता वर्तमान में खत्म हो चुकी है। एडवोकेट आरके सिंह ने अर्चना राय का पक्ष रखते हुए बताया कि आधी भर्ती रूल से और आधी भर्ती गाइडलाइन से कराना अनुचित है और न्यायसंगत नहीं है। एक वकील ने कहा कि आधे लोग छः वर्ष पहले नौकरी पा चुके हैं आधे अब पा रहे हैं तो वरिष्ठता का निर्धारण कैसे होगा। जिसपर कोर्ट ने कहा कि जो पा गए सो पा गए। अगले सप्ताह के लिए मुकदमा लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐश्वर्या जी को मध्यस्थ बनाया जा रहा है, वह अधिकारियों से बात करके समाधान निकालेंगी। कोर्ट मामले को समझ चुकी है वह रद्द जिला वरीयता  रूल पर नहीं जाना चाहती है। यदि समाधान न निकला तो वह मामले का निस्तारण कर देंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता पल्लव सिसोदिया ने कहा कि ऐश्वर्या भाटी जी एक अच्छी मध्यस्थ होंगी और पद बढ़ाकर भी वह मामले का निस्तारण करा सकती हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में पद बहुत रिक्त है। 12460 के विवाद के शीघ्र निस्तारण एवम बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए राहुल पांडे ने एक एप्लीकेशन के द्वारा मांग की है कि मामले का शीघ्र निस्तारण हो अथवा नियुक्ति पाए शिक्षकों को विद्यालय आवंटित कर दिया जाए जिससे बच्चों को शिक्षा मिलती रहे। बात केस मेरिट की हो तो सरकार के पास गाइडलाइन के  6(ख) के पक्ष में कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। क्योंकि एक तरफ वह जिला वरीयता को लोकल डिग्लैक्ट बताती है तो फिर दूसरी तरफ बाहरी को कैसे वरीयता देगी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने समाधान कराने का प्रयास किया है।
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@RahulGPande

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