कुबेर धाम, अयोध्या जी

राम 👏

अयोध्या जी जो कि एक संत/साधु थे, संत की कोई जाति नहीं होती है लेकिन संत बनने के पूर्व वह कुर्मी जाति से थे। उनका गुरुद्वारा अयोध्या में बाबा राम प्रसाद जी का अखाड़ा था। उन्होंने कुछ जमीन अपने भांजे गंगादीन को दिया था कि वह भूमि की देखभाल करेंगे लेकिन उन्होंने वह जमीन राम दुलार जी को बेच दी थी।
जिसके परिणामस्वरूप शेष जमीन को अयोध्या जी ने अपने भांजे या परिवार को देने की बजाय राम दुलार जी के भाई पंडित राम कुबेर जी को इस उद्देश्य से दान कर दिया था कि स्वर्ग में उनको सुख होगा, दुनिया में उनका नाम होगा, उनकी संपत्ति सुरक्षित रहेगी।
अयोध्या नाम ही ऐसा है कि यह नाम विश्व पटल पर है परंतु संत अयोध्या जी जिनका पैतृक गांव तिवीपुर था।
उनकी यह तपोस्थली अयोध्या, काशी और प्रयागराज के बिल्कुल मध्य है। प्रतापगढ़, पट्टी, आसपुर देवसरा, ढकवा मुख्य मार्ग पर स्थित है। जिसकी कीमत करोड़ों में है। भगवान जी अयोध्या में विराजमान हो गए हैं। आज हनुमान जी का जन्मोत्सव है। पंडित राम कुबेर और राम दुलार ने यह जमीन अपने भाइयों में विभाजित कर दी है। अतः वर्तमान में है इस संपूर्ण भूमि में १२वें हिस्से का हकदार दूं।
मैं अपना संपूर्ण हिस्सा संत अयोध्या जी और राम कुबेर जी की स्मृति में दान करके अनाथ बच्चों और निराश्रित महिलाओं की सेवा में कार्य करूंगा एवम  प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन होकर एक तीर्थक्षेत्र के रूप में इस पुण्य भूमि को विकसित करूंगा।
राहुल पांडे 'अविचल'
पुत्र गुरु दत्त पांडे
पौत्र पंडित राम कुबेर

Comments

Popular posts from this blog

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय का प्रभाव :

ईरान-इज़रायल युद्ध और भारत की राह: दिल और दिमाग के बीच फंसी एक राष्ट्रनीति

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के पदोन्नति मामले में शपथ पत्र पर राहुल पांडे अविचल की समीक्षा