राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय का प्रभाव : जब दिनांक 25/11/2021 को माननीय जोधपुर उच्च न्यायालय ने राजेंद्र सिंह चोटिया केस में एनसीटीई का नोटिफिकेशन दिनांक 28/06/2018 को रद्द कर दिया था तो एनसीटीई पत्र जारी करके माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने तक आगे से बीएड की नियुक्ति रोक सकती थी। मगर न तो एनसीटीई ने कोई पत्र जारी किया और न ही उस आदेश को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने पर माननीय जोधपुर उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगी। अन्य राज्यों में पटना उच्च न्यायालय ने उसके बाद भी भर्ती को जारी रहने दिया और नियुक्ति को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधीन कर दिया। जबलपुर हाई कोर्ट ने भी मध्य प्रदेश में भर्ती जारी रखी और नियुक्ति को अंतिम निर्णय के आधीन कर दिया। जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के बाद इसपर अंतिम बहस शुरू हुई तो मध्य प्रदेश सरकार ने सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को देवेश शर्मा केस में क्लारिफिकेशन के लिए उतार दिया है। जिससे कि क्लारिफिकेशन के बाद ही माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय में बहस हो। मामला देवेश शर्मा ऑर्डर डेलिव...
ईरान-इज़रायल युद्ध और भारत की राह: दिल और दिमाग के बीच फंसी एक राष्ट्रनीति लेखक: राहुल पांडे 'अविचल' जब दो राष्ट्र युद्ध की आग में झुलस रहे हों, तब केवल तलवार नहीं, विवेक भी बोलता है। ईरान और इज़रायल के बीच उठती यह ज्वाला न सिर्फ पश्चिम एशिया, बल्कि भारत के दिल और सोच को भी झकझोर रही है। भारत आज एक कठिन मोड़ पर खड़ा है — एक ओर इज़रायल है, जो वर्षों से भारत का रक्षा साथी रहा है, जिसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहने की मिसाल दी है। दूसरी ओर ईरान है, हमारी ऊर्जा का स्रोत, हमारी संस्कृति का साझेदार और चाबहार बंदरगाह जैसा रणनीतिक सहयोगी। लेकिन सिर्फ बाहर की दुनिया नहीं, भारत का मन भी दो खेमों में बँटा है। कुछ लोग इज़रायल के साहस और निर्णायक कार्रवाई के प्रशंसक हैं, तो कुछ ईरान को साम्राज्यवाद के खिलाफ एक प्रतिरोध की आवाज़ मानते हैं। तो भारत को क्या करना चाहिए? भारत को भावनाओं से नहीं, बुद्धिमत्ता से चलना होगा। हमें युद्ध नहीं, शांति का पक्ष लेना चाहिए। हमें किसी की आँधी में उड़ने के बजाय अपना संतुलन साधना होगा — जहाँ इज़रायल से हमारी रक्षा की दीवार मज़बूत ह...
राहुल पाण्डेय अविचल उत्तर प्रदेश से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में Civil Appeal 1390/2025 में INTERVENTION APPLICATION 45555/2025 के माध्यम से उत्तर प्रदेश के इकलौते टीईटी समर्थक पैरवीकार हैं।
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