दशहरा
श्रीराम से युद्ध के लिए निकला रावण, तब हुए थे ये अपशकुन, फिर भी नहीं रुका, मारा गया कुंभकर्ण और मेघनाद की मृत्यु के बाद रावण अंदर से टूट चुका था। वह बहुत दुःखी भी था। शोक, अपमान और क्रोध ने उसके मन में ऐसी जगह बनाई कि उसकी आंखें लाल हो गईं। रावण की अब एक ही ख्वाहिश थी और वो यह कि किसी तरह श्रीराम को मृत्य की नींद सुलाकर अपने प्रतिशोध की ज्वाला को बुझाए। रावण के पास कई वरदान थे, इसलिए उसे इस बात का घमंड भी था। जब रावण युद्ध के लिए निकला तब पक्षी अमंगलसूचक बोली बोलने लगे। सूर्य का प्रकाश धीमा हो गया। इस तरह कई अपशकुन हुए। रावण, विरुपाक्ष, महोदर और महापार्श्व आदि दानवों के साथ युद्ध भूमि में पहुंचा। रावण के सभी दैत्य सुग्रीव और अंगद के साथ युद्ध लड़ते ही मारे गए। रावण, श्रीराम से युद्ध लड़ रहा था। रावण ने 'नाराच बाण' निकाला और श्रीराम की ओर प्रक्षेपित किया। श्रीराम के सामने यह बाण बेअसर रहा। दोनों तरफ से बाणों की बौछार हो रही थी। समय बीतता जा रहा था, लेकिन रावण कमजोर नहीं हुआ। तब श्रीराम से मतालि ने कहा, 'हे प्रभु रावण का अंत समय आ गया है। आप ब्रह्मास्त्र का उपयोग कीजिए।' ...